Tuesday, April 12, 2011

education poem




न ये केमिस्ट्री होती,
न मैं student होता,
न ये लैब होती,
न ये एक्सीडेंट होता,
अभी practical में आई नज़र एक लड़की,
सुन्दर थी नाक उसकी टेस्ट ट्यूब जैसी,
बातों में उसके ग्लुकोस की मिठास थी,
सांसों में एस्टर की खुशबु भी साथ थी,
आँखों से झलकता था कुछ इस तरह का प्यार,
बिन पिए ही हो जाता था अल्कोहल का खुमार,
Benzene से होता था उसकी presence का एहसास,
अँधेरे में होता था रेडियम का आभास,
नज़रें मिली Reaction हुआ,
कुछ इस तरह Love का Production हुआ,
लगने लगे उसके घर के चक्कर ऐसे,
Nucleus के चारों तरफ Electron हो जैसे,
उस दिन हमारे टेस्ट का Confirmation हुआ,
जब उसके Daddy से हमारा Introduction हुआ,
सुन कर हमारी बात वो ऐसे उछल पड़े,
Ignition Tube में जैसे Sodium भड़क उठे,
वो बोले होश में आओ, पहचानो अपनी औकात,
Iron मिल नहीं सकता Gold के साथ,
ये सुन कर टूटा हमारा अरमानों भरा बीकर,
और हम चुप रहे Benzaldehyde का कड़वा घूँट पीकर.

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