Monday, April 25, 2011

kon kehta h k aashman m surag nahi

कौन कहता है, ’’कि आसमान में सुराग नहीं होता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों।

इस कहावत को सही मायने में अन्ना हजारे ने सिद्ध कर दिया। अन्ना हजारे जिनका जन्म सन् 15 जनवरी 1940 को हुआ। इनकी माता लक्ष्मी बाई हजारे और पिता भाबूरणे हजारे था। आरम्भ से अपनी लगन और मेहनत से इन्होंने  रालेगाँव में लोगों को पानी उपलब्ध करा कर अपने आपको सिद्ध किया और फिर सूचना के अधिकार के प्रति अहिंसक आन्दोलन के लिए उठा कदम सराहनिय रहा। लेकिन अन्ना चर्चा में  तब आए जब भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अंसन पर बैठ गये थे। चार दिनों के इस अंसन ने सरकार को झुका कर रख दिया और अपनी बात के आगे झुकने पर मजबूर भी कर दिया।
आज अन्ना को दूसरा गांधी के नाम से जाना जाने लगा है और अगर मैं यह बात कहूं कि ’’न लहू बहा, न गदर मचा, न हुआ कोई संग्राम रे चली तो अन्ना लहर चली हर शहर -शहर, हर गांव रे। इसमें कोई परेशानी  नहीं होगीं। जन लोकपाल बिल के अंहिसक आन्दोलन ने 21वीं सदी के इस दौर में भी गांधी के विचारों की अलख जगा दी और गांधी को लोगों के बीच फिर से जिंदा कर दिया। अंहिसा से बड़ा कोई हथियार नहीं और सत्य से बड़ा कोई विचार नहीं।
पर असल, भौतिक सुख की चाह ने हमे इतना अंधा बना दिया है कि दो सौ साल की गुलामी के बाद भी मिली आजादी की कीमत  हम भूल गए।
क्या हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने ऐसे भारत के लिए ही अपनी कुर्बानियां  दी थी? जरूरत है अन्ना जैसे समाजसेवियों की, जरूरत है युवाओं को जागरूक करने की, जरूरत है देश  को बदलने की । अन्ना ने देश  के सामने भ्रष्टाचार से लड़ने और अहिंसा का रास्ता अपना कर इसका विरोध किया। आज दे को ऐसे अनेक आंदोलनों की जरूरत है।

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